दूधिया मशरूम उत्पादन: आसान तरीका और सुझाव

Milky Mushroom Production

भारत के अधिकांश उत्तरी भागों में, जहाँ तापमान 25-40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, मुख्य रूप से श्वेत बटन (White Button) और ओएस्टर (Oyster) मशरूम की खेती की जाती है। पहले, मौसमी मशरूम उत्पादक केवल श्वेत बटन मशरूम पर निर्भर रहते थे और शरद ऋतु में एक फसल के बाद उत्पादन बंद कर देते थे, क्योंकि तापमान बढ़ने पर साल भर खेती संभव नहीं हो पाती थी। कुछ उत्पादक ढींगरी (ओएस्टर) मशरूम की एक-दो फसलें लेने की कोशिश करते हैं।

अब, यदि मशरूम उत्पादक दूधिया मशरूम (Milky Mushroom) को अपने वर्तमान फसल चक्र में शामिल कर लें, तो वे अपने उत्पादन काल को बढ़ा सकते हैं और साल भर मशरूम उत्पादन से स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

दूधिया मशरूम (राजेन्द्र दूधिया मशरूम 1)

  • वैज्ञानिक नाम: ट्राइकोलोमा गिर्गेसियम (Tricholoma virgatum – नोट: यह जानकारी शायद गलत है, दूधिया मशरूम का वैज्ञानिक नाम आमतौर पर कैलोरॉसीब इंडिका (Calocybe indica) होता है। दी गई जानकारी की पुष्टि करें।) इसे चयन विधि द्वारा विकसित किया गया है।
  • विशेषताएँ:
    • इसका आकार और रूप श्वेत बटन मशरूम से मिलता-जुलता है।
    • श्वेत बटन मशरूम की तुलना में दूधिया मशरूम का तना अधिक मांसल, लंबा और आधार काफी मोटा होता है।
    • इसकी कैप (टोपी) बहुत छोटी और जल्दी खुलने वाली होती है।
    • दूधिया मशरूम की टिकाऊ क्षमता (तुड़ाई के बाद भंडारण अवधि) अधिक होती है।
    • मांग कम होने पर इसकी तुड़ाई तीन-चार दिन देर से भी करने पर गुणवत्ता में कमी नहीं आती है।
  • खेती का समय: इस मशरूम की खेती अप्रैल से अक्टूबर तक की जा सकती है, जो इसे गर्म मौसम के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।

दूधिया मशरूम को शामिल करने से उत्तरी भारत के मशरूम उत्पादक साल भर अपनी आय सुनिश्चित कर सकते हैं।


दूधिया मशरूम में पौष्टिक तत्वों (Nutritive elements):

दूधिया मशरूम में जल 89.44%, प्रोटीन 33.24%, कार्बोहाइड्रेट 27.55%, वसा 2.97%, तन्तु 12.62%, खनिज 8.30%, नमी 8.92% और अन्य अनुपलब्ध कार्बोहाइड्रेट 6.40% होता हैं।


उपयुक्त जलवायु (Suitable climate):

  • दूधिया मशरूम की खेती के लिए 25–35°C तापमान और 80–90% नमी की आवश्यकता होती है।
  • केसिंग परत डालने से लेकर फसल कटाई तक तापमान 30–35°C और नमी 80–90% बनी रहनी चाहिए।
  • यह मशरूम अधिक तापमान (30–40°C) में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे गर्मियों में भी उत्पादन संभव होता है।

माध्यम का चुनाव (Choice of medium):

दूधिया मशरूम को ढींगरी मशरूम की तरह ही विभिन्न कृषि अवशेषों पर आसानी से उगाया जा सकता है।

  • उपयुक्त माध्यम: गेहूं का भूसा, पुआल (धान का), ज्वार, बाजरा और मक्का की कड़वी, गन्ने की खोई आदि।
  • माध्यम की गुणवत्ता: चुना गया माध्यम नया और सूखा होना चाहिए, और बरसात में भीगा हुआ नहीं होना चाहिए।
  • सबसे अधिक उपयोग: इस मशरूम की खेती के लिए भूसा या पुआल का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जा रहा है।

आप अपनी उपलब्धता के अनुसार इनमें से कोई भी एक माध्यम चुन सकते हैं।


माध्यम का उपचार (Treatment of the medium)

दूधिया मशरूम की अच्छी वृद्धि के लिए और हानिकारक सूक्ष्मजीवों से माध्यम को मुक्त करने के लिए, इसे उपचारित करना बहुत ज़रूरी है। आप इसके लिए गर्म पानी या रासायनिक विधि का उपयोग कर सकते हैं।

(i) गर्म पानी उपचार विधि

इस विधि में निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं:

  1. भूसा/पुआल भिगोना:
    • भूसा या धान के पुआल की कुट्टी को छोटे टाट के बोरों में भरें
    • इन बोरों को साफ पानी में अच्छी तरह से कम से कम 6-8 घंटे तक डुबोकर रखें, ताकि भूसा या पुआल पूरी तरह से पानी सोख ले।
  2. गर्म पानी में उबालना (पाश्चुरीकरण):
    • इसके बाद, इस गीले भूसे से भरे बोरे को उबलते हुए गर्म पानी में 40 मिनट तक डुबोकर रखें
    • महत्वपूर्ण बात: ध्यान रखें कि भूसा डुबोने के बाद भी पानी 40 मिनट तक उबलता रहना चाहिए, तभी माध्यम का उपचार सफल माना जाएगा।
  3. पानी निकालना और ठंडा करना:
    • 40 मिनट उबालने के बाद, भूसे को गर्म पानी से निकालकर साफ फर्श पर फैला दें
    • ऐसा करने से भूसे का अतिरिक्त पानी निकल जाएगा और यह ठंडा हो जाएगा।
    • फर्श की तैयारी: भूसा डालने से पहले फर्श को अच्छी तरह धोकर उस पर 5% फॉर्मेलिन के घोल (50 मिलीलीटर फॉर्मेलिन प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  4. नमी की जांच:
    • इस समय भूसे में पानी की मात्रा (नमी) 65-70 प्रतिशत होनी चाहिए।
    • जांच का तरीका: इस स्थिति का अंदाज़ा लगाने के लिए, भूसे को मुट्ठी में कसकर दबाएं। यदि दबाने पर भूसे से पानी न निकले और आपकी हथेली मामूली सी नम हो जाए, तो समझना चाहिए कि भूसे में नमी बिल्कुल ठीक है।

इस प्रकार, उपचारित माध्यम अब बीज बोने (बीजाई) के लिए तैयार है।

(ii) रासायनिक उपचार विधि

रासायनिक उपचार विधि बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन के लिए एक लागत-प्रभावी विकल्प है, खासकर जब गर्म पानी विधि बहुत महंगी साबित हो। माध्यम को रासायनिक रूप से उपचारित करने का तरीका निम्नलिखित है:

  1. पानी और भूसा भिगोना:
    • किसी सीमेंट के हौद या बड़े ड्रम में 90 लीटर पानी लें।
    • उसमें 10-12 किलोग्राम भूसा भिगो दें।
  2. रासायनिक घोल तैयार करना:
    • एक अलग बाल्टी में 10 लीटर पानी लें।
    • उस पानी में 7.5 ग्राम बॉविस्टीन (Bavistin) और 125 मिलीलीटर फॉर्मेलिन मिलाएं।
  3. घोल मिलाना और ढकना:
    • इस रासायनिक घोल को ड्रम में भिगोए गए भूसे पर डाल दें।
    • ड्रम को पॉलीथीन से अच्छी तरह ढक दें और उस पर कोई वजन रख दें ताकि वह हवा बंद रहे।
  4. प्रतीक्षा और पानी निकालना:
    • 12-16 घंटे बाद, ड्रम से भूसे को बाहर निकाल लें।
    • भूसे को साफ फर्श पर फैला दें ताकि उसमें से अतिरिक्त पानी निकल जाए।

इस प्रक्रिया के बाद, प्राप्त गीला भूसा बीज बोने (बीजाई) के लिए तैयार है।


बीजाई की विधि (Spawning Process:

माध्यम (भूसा या पुआल) को ऊपर बताई गई किसी एक विधि (गर्म पानी या रासायनिक उपचार) से उपचारित करने के बाद, अगला चरण बीज बोना (बीजाई) है।

  1. बीज की मात्रा:
    • उपचारित माध्यम में 10-12 प्रतिशत की दर से बीज मिलाएं (यह सूखे भूसे के वजन के अनुसार होता है)।
    • इसका मतलब है कि एक किलोग्राम गीले भूसे में लगभग 120-125 ग्राम बीज मिलाया जाता है।
  2. बीजाई का तरीका (सतह विधि):
    • आप बीज को माध्यम में पूरी तरह मिलाकर भी बो सकते हैं, या सतह में बीजाई कर सकते हैं जो आमतौर पर पॉलीथीन बैग में की जाती है।
    • पॉलीथीन बैग: 15-16 इंच चौड़े और 20-21 इंच ऊंचे पॉलीथीन के बैग लें।
    • परतें बनाना:
      • सबसे पहले पॉलीथीन बैग में भूसे की एक परत बिछाएं।
      • फिर उसके ऊपर बीज बिखेर दें।
      • इसके ऊपर फिर से भूसे की परत डालें और फिर बीज बिखेरें।
      • दो परतों के बीच का अंतर लगभग 3-4 इंच होना चाहिए।
    • इस प्रकार, आप सतह में बीजाई कर सकते हैं।
    • बैग में माध्यम की मात्रा: प्रत्येक बैग में लगभग 4-5 किलोग्राम गीला (उपचारित) माध्यम भरा जाता है।
  3. बीजित बैगों का रखरखाव (कवक जाल फैलाव):
    • बीज बोए गए (बीजित) बैगों को एक अंधेरे कमरे में रख दें।
    • लगभग 15-20 दिनों तक कमरे का तापमान 25-35° सेल्सियस और नमी 80-90 प्रतिशत बनाए रखें। इस अवधि में मशरूम का कवक जाल माध्यम में फैलेगा।

आवरण मिश्रण बनाना व परत बिछाना (Casing & Layering Process):

बीजाई के 15-20 दिनों के भीतर, बीज भूसे में पूरी तरह से फैल जाता है और भूसे की सतह पर सफेद फफूंद (कवक जाल) दिखाई देने लगती है। यह अवस्था केसिंग परत (आवरण परत) चढ़ाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

आवरण मिश्रण तैयार करना

आवरण मिश्रण को आवरण करने से एक सप्ताह पहले तैयार करना चाहिए।

  1. मिट्टी का मिश्रण: आवरण मिश्रण तैयार करने के लिए, 3/4 भाग दोमट मिट्टी और 1/4 भाग बालू मिट्टी को अच्छी तरह मिलाएं।
  2. रासायनिक उपचार:
    • अब इस मिश्रण को 10 प्रतिशत फॉर्मेलिन (100 मिलीलीटर फॉर्मेलिन प्रति लीटर पानी) और 0.1 प्रतिशत बॉविस्टीन के घोल (1 ग्राम बॉविस्टीन प्रति लीटर पानी) से गीला करें।
    • गीला करने के बाद, मिश्रण को ऊपर से पॉलीथीन शीट से 8 दिनों के लिए ढक दें
  3. गंध निकालना: आवरण करने के 24 घंटे पहले ही आवरण मिश्रण से पॉलीथीन हटा दें। मिश्रण को बेलचे से उलट-पलट दें ताकि फॉर्मेलिन की गंध निकल जाए।

इस प्रकार तैयार आवरण मिश्रण अब इस्तेमाल के लिए तैयार है।

आवरण परत बिछाना

  1. बैग तैयार करना: जिस बैग में बीज फैला हुआ है, उसके मुंह को खोलकर सतह को समतल (चौरस) कर लें।
  2. परत बिछाना: तैयार आवरण मिश्रण की 2-3 सें.मी. मोटी परत को कवक जाल फैली हुई सतह पर बिछा दें।
  3. तापमान और नमी: इस दौरान कमरे का तापमान 30-35° सेल्सियस और नमी 80-90 प्रतिशत बनाए रखें।
  4. कवक जाल का फैलाव: लगभग 10-12 दिनों में कवक जाल (बीज के तंतु) आवरण मिश्रण में फैल जाएगा।

फसल प्रबंधन (Crop Management):

आवरण मिश्रण में कवक जाल के पूरी तरह फैलने के बाद, मशरूम के फल पिंडों (मशरूम) के विकास के लिए निम्न प्रबंधन आवश्यक हैं:

  • पानी का छिड़काव: आवरण मिश्रण में कवक जाल फैलने के बाद, बैगों पर प्रतिदिन पानी का छिड़काव किया जाता है।
  • ताजी हवा: कमरे में ताजी हवा का संचार सुनिश्चित करें।
  • तापमान और नमी: कमरे का तापमान 30-35° सेल्सियस और नमी 80-90 प्रतिशत बनाए रखें।

इन परिस्थितियों में, 3-5 दिनों में मशरूम कलिकायें (छोटे मशरूम) निकलना शुरू हो जाती हैं, जो लगभग एक सप्ताह में पूर्ण मशरूम का रूप ले लेती हैं। ढींगरी मशरूम की तरह ही, दूधिया मशरूम की बढ़वार के लिए भी प्रकाश की आवश्यकता होती है।


तुड़ाई, पैकिंग व परिवहन (Harvesting, Packing & Transport):

दूधिया मशरूम की खेती में अंतिम और महत्वपूर्ण चरण उसकी तुड़ाई, सही पैकिंग और परिवहन है ताकि उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे।

तुड़ाई (Harvesting):

  • दूधिया मशरूम की कैप (टोपी) जब 5-6 सें.मी. मोटी हो जाए, तो इसे परिपक्व समझना चाहिए।
  • इसे तोड़ने के लिए, अंगूठे और उंगली की सहायता से मशरूम को घुमाकर सावधानी से तोड़ लेना चाहिए।

पैकिंग (Packing):

  1. सफाई: मशरूम के तने के निचले भाग को, जिसमें मिट्टी लगी होती है, उसे काट दिया जाता है।
  2. बैगिंग: मशरूम को छिद्रित पॉलीथीन बैग में पैक किया जाता है। ये छेद मशरूम को सांस लेने और नमी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे ताजगी बनी रहती है।
  3. शीतलन (यदि आवश्यक हो): कुचली हुई बर्फ से भरे पॉली पाउच को कागज में लपेटकर ट्रे/टोकरी में रखा जाता है। यह विशेष रूप से लंबी दूरी के परिवहन के लिए या जब तुरंत बाजार में न भेजना हो, तब ताजगी बनाए रखने में मदद करता है।
  4. वायु संचार: फिर, उचित वायु संचार के लिए पर्याप्त छिद्रों वाली पतली पॉलीथीन शीट से ट्रे/टोकरी को ढक दिया जाता है।

परिवहन (Transport):

  • पहले से पैक किए गए पाउच (आमतौर पर 250 या 500 ग्राम के) को परिवहन की जाने वाली मात्रा के आधार पर ट्रकों, बसों या अन्य साधनों से सड़क मार्ग द्वारा ले जाया जा सकता है। कम दूरी के लिए साधारण ट्रे में ढककर, और लंबी दूरी के लिए बर्फ के साथ विशेष पैकिंग जरूरी है।

👉 उपर्युक्त विधि द्वारा दूधिया मशरूम की खेती कर किसान भाई अत्यधिक मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। यह मशरूम विशेष रूप से गर्म मौसम में उत्पादन की क्षमता के कारण किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है।

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