मक्का के प्रमुख रोग और उनके उपचार (Maize Diseases & Management)
मक्का” विश्व की सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसलों में से एक है। भारत के बिहार राज्य में इसकी खेती मुख्य रूप से रबी और खरीफ दोनों मौसमों में की जाती है। मक्का को इसके उच्च पोषण मूल्य और उत्पादन क्षमता के कारण “अनाज की रानी” कहा जाता है। इसमें प्रकाश असंवेदनशीलता (Photo-insensitivity) जैसी विशेषता होती है, जिससे यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। बिहार में मक्का की खेती लगभग 6.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जिसमें से रबी सीजन में लगभग 4.00 लाख हेक्टेयर और खरीफ में 2.30 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई होती है। इस कुल क्षेत्रफल से राज्य में 2.41 मिलियन टन मक्का का उत्पादन होता है।

मक्का में होने वाले प्रमुख रोग:
मक्का एक प्रमुख खाद्य एवं चारा फसल है। लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह कई रोगों की चपेट में आकर उत्पादन घटा सकती है। मक्का की खेती में होने वाले प्रमुख रोगों के लक्षण, कारण और उपचार की पूरी जानकारी विस्तार से बताए गए हैं।
1. 🌿उत्तरी झुलसा रोग (Northern Leaf Blight Or Turcicum Leaf Blight – TLB)


- रोग कारण:
- यह रोग एक्ससेरोहिलम टर्सिकम (Exserohilum Turcicum) नामक कवक (फंगस) से होता है। यह 17–31°C तापमान और 90–100% आर्द्रता वाले मौसम में तेजी से फैलता है।
- लक्षण:
- पत्तियों पर छोटे हल्के हरे-भूरे धब्बे।
- सिगार के आकार के स्लेटी भूरे घाव (1–6 इंच लंबे)।
- घाव पत्तियों और भूसी तक फैल जाते हैं।
- पत्तियां सूख जाती हैं और उपज में 28–91% तक की गिरावट होती है।
- रोकथाम/प्रबंधन:
- मैंकोजेब (0.25%) या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।
- पोटाश का संतुलित प्रयोग करें।
- सांस्कृतिक उपाय जैसे: फसल चक्र अपनाएं, रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, समय पर बुआई करें और संक्रमित पौधों के अवशेषों को नष्ट करें।
2. 🍃दक्षिणी झुलसा रोग (Southern Leaf Blight Or Maydis Leaf Blight– MLB)
- रोग कारण:
- यह रोग बाइपोलारिस मेडिस (Bipolaris Maydis) नामक कवक (फंगस) से होता है। यह रोग गर्म और नम जलवायु में अधिक फैलता है, खासकर जब तापमान 21–32°C के बीच हो। घनी फसल और कम जुताई वाले खेतों में इसका प्रकोप ज्यादा होता है।
- लक्षण:
- निचली पत्तियों पर भूरे, अंडाकार या हीरे के आकार के धब्बे हो जाते हैं।
- घाव बड़े होकर पत्तियों को पूरी तरह झुलसा देते हैं।
- उपज में 70% तक की हानि संभव है।
- रोकथाम/प्रबंधन:
- प्रोपिकोनाजोल, मैंकोजेब, क्लोरोथालोनिल जैसे फफूंदनाशी का छिड़काव करें।
- सांस्कृतिक उपाय:
- फसल चक्र और मौसम के अंत में गहरी जुताई करें, रोग प्रतिरोधी संकर (Hybrid) किस्मों का चयन करें, और संक्रमित पौधों के अवशेषों को नष्ट करें।
3. 🌾फ्यूजेरियम तना गलन (Fusarium Stalk Rot)
- रोग कारण:
- यह मक्का की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है, जो फ्यूजेरियम वर्टिकिलिओइड्स (Fusarium Verticillioides) नामक कवक (Fungus) के कारण होती है। 26–37°C तापमान इसके फैलाव के लिए अनुकूल होता है। इससे उपज में 10% से 42% तक नुकसान हो सकता है, और कुछ मामलों में यह 100% तक भी पहुंच सकता है।
- लक्षण:
- पत्तियां हरे से हल्के हरे रंग में बदल जाती हैं।
- निचला डंठल पीला और कमजोर हो जाता है।
- जड़ों व निचली गांठों पर रोग के लक्षण दिखते हैं।
- डंठल को काटने पर अंदरूनी भाग हल्का गुलाबी रंग का होता है।
- डंठल स्पंजी (नरम) लगते हैं और आसानी से दब जाते हैं।
- प्रबंधन:
- यदि तना सड़न मौजूद है, तो जल्दी कटाई करने से भुट्टे का नुकसान कम होता है।
- प्रतिरोधी / सहिष्णु संकर बीजों का उपयोग करें और फसल चक्र अपनाएं।
- पिछली फसल के अवशेषों को नष्ट करें और गहरी जुताई करें।
- नाइट्रोजन कम और पोटाश अधिक मात्रा में संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें।
4. 🍂 कर्वुलारिया पत्ती धब्बा (Curvularia Leaf Spot)
- रोग कारण:
- यह रोग कर्वीलेरिया लुनाटा नामक कवक (Fungus) से होता है और विशेष रूप से गर्म व आर्द्र क्षेत्रों में अधिक फैलता है। यह मक्का की पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर प्रकाश संश्लेषण को बाधित करता है, जिससे उपज में 60% तक की गिरावट हो सकती है।
- लक्षण:
- पत्तियों पर छोटे, पिनहेड आकार के पीले-भूरे धब्बे हो जाते हैं।
- बाद में ये धब्बे गोल या अंडाकार आकार में बदल जाते हैं।
- घाव भूरे रंग के छल्लों और पीले किनारों के साथ दिखाई देते हैं।
- अक्सर यह रोग पौधे के मध्य से ऊपरी पत्तों पर दिखता है।
- प्रबंधन:
- खेत व आसपास के क्षेत्र को खरपतवार मुक्त रखें।
- प्रतिरोधी संकर किस्मों का उपयोग करें।
- थीरम या कैप्टन से बीजोपचार करें (2 ग्राम/किग्रा बीज)।
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड फफूंदनाशी का छिड़काव करें।
- बुआई के 35 व 55 दिन बाद कार्बेन्डाजिम + मैकोजेब या जिनेब 2 ग्राम/लीटर का छिड़काव करें।
5. 🌱 बैंडेड लीफ एंड शीथ ब्लाइट (Banded Leaf and Sheath Blight–BLSB)
- रोग कारण:
- यह रोग राइजोक्टोनिया सलोनी (Rhizoctonia solani) नामक कवक (Fungus) से होता है और 28°C तापमान व आर्द्र मौसम में तेजी से फैलता है। इससे मक्का की उपज में 11% से 40% तक हानि हो सकती है।
- लक्षण:
- पत्तियों, आवरण (शीथ) और डंठल पर प्रभाव होता है।
- संक्रमण पत्ती के आवरण से शुरू होकर पत्तियों के मूल तक फैलता है।
- भूरे-काले रंग के छोटे गोल स्क्लेरोशिया (कवक संरचनाएं) दिखते हैं।
- प्रबंधन:
- निचली पत्तियों को हटा देने से रोग ऊपर तक नहीं फैलता है।
- ट्राइकोडर्मा, ग्लियोक्लेडियम और लेटिसारिया जैविक नियंत्रण में मदद करते हैं।
- प्रोपिकोनाजोल (0.1%) व कार्बेन्डाजिम (0.05%) का 30, 40 या 50 दिन पर छिड़काव करें।
✅सामान्य प्रबंधन और सावधानियां
- फसल चक्र: मक्का को लगातार एक ही खेत में न बोएं, इससे रोगों का खतरा कम होता है।
- बीज: प्रमाणित एवं रोग प्रतिरोधी बीजों का उपयोग करें। बीजोपचार अवश्य करें।
- स्वच्छता: खेत से संक्रमित पौधों के अवशेष हटाएं और नष्ट करें।
- मिट्टी स्वास्थ्य: जैविक खाद और ट्राइकोडर्मा का प्रयोग मिट्टी को स्वस्थ रखता है।
- समय पर निगरानी: रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करें।
- मौसम पर नजर: नमी और गर्मी रोगों को बढ़ावा देती है, इसलिए मौसम के अनुस
बिहार मे मक्का की खेती (Maize/Corn Farming in Bihar) की पूरी जानकारी।